भारत की सांसद भवन पुराने और नये मे खास | BHARAT KI SANSAD BHAWAN PURANE AUR NAYE ME KHAS

भारत की सांसद

भारत की संसद अथवा पार्लिमेंट भारत देश के विधान पालिका का सर्वोच्च निकाय है | यह द्विसदनीय व्यवस्था है | राजनीति का मंदिर कहा जाता है संसद को| भारतीय संसद में राष्ट्रपति तथा दो सदन लोकसभा एवं राज्यसभा होते हैं| राष्ट्रपति के पास संसद के दोनों में से किसी भी सदन को बुलाने या स्थगित करने अथवा लोकसभा को भंग करने की शक्ति है| भारतीय संसद का संचालन संसद भवन में होता है| जो कि नई दिल्ली में स्थित है| राज्यसभा को उच्च सदन एवं लोकसभा को निम्न सदन कहा जाता है| परंतु यह केवल व्यवहार में कहा जाता है| क्योंकि भारतीय संविधान में कहीं भी लोकसभा के लिए निम्न सदन एवं राज्यसभा के लिए उच्च सदन शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है| संसद में दो प्रकार है द्विसदनीय व्यवस्था सदन दो प्रकार के हैं राज्यसभा और लोकसभा इससे पहले भारतीय विधानसभा भी कहा जाता है| लोकसभा और राज्यसभा में अपने-अपने अध्यक्ष होते हैं| संसद में संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित लोगों की बैठने की व्यवस्था होती है|संसद में पक्ष और विपक्ष दोनों की बैठने की व्यवस्था होती है संसद में राज्यसभा में 245 सीटें हैं, और लोकसभा में 554 सीटें हैं| लोकसभा में राष्ट्र की जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं| भारत की राजनीति व्यवस्था को या सरकार जिस प्रकार बनती और चलाती है, उसे संसदीय लोकतंत्र कहा जाता है| ग्राम पंचायतों हमारे जन जीवन का अभिन्न अंग रही है, पुराने समय में गांव की पंचायत चुनाव से गठित की जाती थी, उसे न्याय और व्यवस्था दोनों ही क्षेत्र में खूब अधिकार मिले हुए थे| पंचायतों के सदस्यों का राज दरबार में बड़ा आदर होता था| यही पंचायती भूमि का बंटवारा करती थी कर वसूल करती थी| गांव की ओर से सरकार का हिस्सा देती थी, इस व्यवस्था को बदल कर भारत की संसद को बनाया गया पहली विधानसभा 1921 में गठित हुई थी| उसके कुल 145 सदस्य थे 104 निर्वाचित 26 सरकारी सदस्य और 15 मनोनीत गैर सरकारी सदस्य| 1947 में भारत की विधानसभा सभा को पूर्ण प्रभुसत्ता संपन्न निकाय घोषित किया गया 14 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि को उस सभा ने देश का शासन चलाने की पूर्ण शक्ति ग्रहण कर ली अधिनियम की धारा 8 के द्वारा संविधान सभा को पूर्व विधायक शक्ति प्राप्त हो गई|नए संविधान के तहत पहले आम चुनाव वर्ष 1951 52 में हुए पहली चुनी हुई संसद जिनके 2 सदस्य थे| राज्यसभा और लोकसभा मई 1952 में बनी दूसरी लोकसभा मई 1957 में बनी तीसरी अप्रैल 1962 में चौथ थी मार्च 1967 में पांचवी मार्च 1971 में 30 मार्च 1977 में सातवीं जनवरी 1980 में आठवीं जनवरी 1985 में नौवीं दिसंबर 1989 में दसवीं जून 1991 में और ग्यारहवीं 1996 में बनी 1952 में| पहली बार गठित राज सभा एक निरंतर रहने वाला स्थाई सदन है|जिसका कभी विघटन नहीं होता हर 2 वर्ष इसके एक तिहाई सदस्य अवकाश ग्रहण करते हैं|

 संविधान के अनुसार भारत की संसद के तीन अंग है राष्ट्रपति लोकसभा और राज्यसभा 1954 में राज्य परिषद एवं जनता का सदन के स्थान पर क्रमशः राज सभा एवं लोक सभा शब्द को अपनाया गया राज्यसभा उच्च सदन कहलाता है| दूसरा चंबर या बड़ों की सभा जबकि लोकसभा निचला सदन पहला चेंबर या चर्चित सभा कहलाता है|राज्यसभा में राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते हैं| जबकि लोकसभा संपूर्ण रूप में भारत के लोग का प्रतिनिधित्व करती है|हालांकि राष्ट्रपति संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है|और ना ही वह संसद में बैठता है, लेकिन राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग है| ऐसा इसलिए है, क्योंकि संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कोई भी विधायक तब तक विधि नहीं बनता जब तक राष्ट्रपति उसे अपनी स्वीकृति नहीं दे देता राष्ट्रपति संसद के कुछ चुनिंदा कार्य भी करता है| राष्ट्रपति दोनों सदनों का सत्र आहूत करता है, या शत्रु वसन करता है| लोकसभा को विघटित कर सकता है, जब संसद का सत्र ना चल रहा हो वह अध्यादेश जारी कर सकता है| यदि इस मामले में भारतीय संविधान अमेरिका के स्थान पर ब्रिटेन की पद्धति पर आधारित है| संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन स्वागत कार्यालय भवन संसदीय ज्ञानपीठ संसदीय सौंध और इसके आसपास विस्तृत लाइन है| जहां फव्वारे वाले तालाब हैं,शामिल है| संसद के सत्रों के दौरान एंड महत्वपूर्ण अवसरों पर भवन में महत्वपूर्ण स्थलों को विशेष रूप से पुष्प से सुसज्जित किया जाता है| विद्यमान व्यवस्था के अनुसार संपूर्ण संसद भवन संपदा और विशेषकर दोनों सभाओं के चेंबर में पूरे वर्ष कड़ी सुरक्षा रहती है| संपूर्ण संसद भवन संपदा सजावटी लाल पत्थर की दीवार या लोहे की जालियों से घिरा है| तथा लोहारों को आवश्यकता पड़ने पर बंद किया जा सकता है|संसद भवन संपदा से होकर गुजरने वाले पहुंच मार्ग संपदा का हिस्सा है, और उनका उपयोग आम रास्ते के रूप में करने की अनुमति नहीं है|भारत की संसद भवन एक विशालकाय वृत्ताकर भवन है|जिसका व्यास 560 फुट 170.69 मीटर है,और इसकी परिधि 1 मील की एक तिहाई 536.33 मीटर है, तथा यह लगभग 6 एकड़ 24281.16 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है| इसके प्रथम तले पर खुले बरामदे के किनारे किनारे क्रीम रंग की बलवा एक पत्थर के 144 स्तंभ है, और प्रत्येक स्तंभ की ऊंचाई 27 फीट है| भवन के बाराद्वार है, जिसमें से संसद मार्ग पर स्थित द्वार संख्या एक मुख्य द्वार है| भवन का निर्माण स्वदेशी सामग्री से और भारतीय श्रमिकों द्वारा किया गया है| भवन की वास्तुशिल्प में भारतीय परंपरा की गहरी छाप मिलती है| भवन के भीतर और बाहर सवारों की बनावट भारतीय प्रति को छज्जे का प्रयोग जो दीवारों पर खिड़कियों पर छाया का काम करते हैं, और संगमरमर से बनी तरह-तरह की जाली प्राचीन इमारतों और स्मारकों में झलकती सिर्फ कौशल का स्मारक कराते हैं| संसद भवन मैं भारतीय कला का प्राचीन विशेषताओं के साथ पानी व्यवस्था वॉटरपूल साथ-साथ भाषा धर्म और स्वचालित मतदान आदि जैसी आधुनिक वैज्ञानिक उपलब्धियां शामिल है|संसद भवन परिसर हमारे संसदीय लोकतंत्र के प्रादुर्भाव का साक्षी रहा है|संसद भवन परिसर में हमारे इतिहास के निम्नलिखित विभूतियों की प्रतिमाएं और अवश्य मूर्तियां हैं| जिन्होंने राष्ट्र के हित के लिए महा योगदान दिया प्रमुख महात्मा गांधी जी है|

 पुराने संसद भवन की निर्माण की लागत

 गोलाकार अमृत रिंग में निर्मित संसद भवन का व्यास 170.69 मीटर का है, तथा इसकी परिधि आधा किलो मीटर से अधिक 536.33 मीटर है| जो करीब 6 एकड़ 24281.16 वर्ग मीटर है भूख भाग पर स्थित है| दो अर्धवृत्त कार भवन केंद्रीय हॉल को खूबसूरत कोमबदु से गिरे हुए भवन के पहले त का गलियारा 144 मजबूत खंभों पर टिका है| वर्तमान संसद भवन का शिलान्यास 12 फरवरी 1921 को किया गया था| और इसे 6 साल में ₹83 लाख की लागत से तैयार किया गया था| इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन द्वारा 18 जनवरी 1927 को किया गया था| पुराने भवन में संशोधन का था विचार|संसद का स्थापत्य नमूना अद्भुत है मशहूर वास्तु विद लुटियंस ने भवन का डिजाइन तैयार किया था| सर हरबर्ट बेकर के निरीक्षण में निर्माण कार्य संपन्न हुए था| खंबो तथा गोलाकार बरामदे से निर्मित या पुर्तगाली स्थापना कला का अद्भुत नमूना पेश करता है| गोलाकार गलियारों के कारण इस को शुरू में सर्कुलर हाउस कहा जाता था| संसद भवन के निर्माण में भारतीय शैली के स्पष्ट दर्शन मिलते हैं| प्राचीन भारतीय स्मारकों की तरह दीवारों तथा खिड़कियों पर छज्जे का इस्तेमाल किया गया है |

नए संसद भवन के निर्माण के फायदे और नुकसान

 लोकतंत्र का मंदिर माने जाने वाले संसद भवन की तस्वीर अब बदलने वाली है| आजादी के 75 साल पूरा होने तक यह नई बिल्डिंग तैयार हो जाएगी जो मौजूदा बिल्डिंग से अधिक बड़ी आकर्षण और आधुनिक सुविधाओं वाली है| पुराने संसद भवन से इतर नई बिल्डिंग में आधुनिक तकनीक जरूरतों का ध्यान रखा जा रहा है| अगस्त 19 में मौजूदा लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की ओर से नए संसद भवन का प्रस्ताव रखा गया प्रस्ताव के मुताबिक नया संसद भवन 64500 स्क्वायर मीटर में बनाया जाएगा जो 4 मंजिला होगा| इसका खर्च 971 करो रुपया आएगा इस संसद भवन को 2022 तक पूरा तैयार कर लिया जाएगा सभी सांसदों के लिए संसद भवन परिसर में दफ्तर बनाया जाएगा| जिसे 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा इस नई संसद भवन में कुल 1224 सांसदों के बैठने की सुविधा होगी इसमें 888 लोकसभा चेंबर में बैठ सकेंगे जबकि राज्यसभा चेंबर में 384 सांसदों की बैठने की सुविधा होगी| भविष्य में अगर सांसदों की संख्या बढ़ती है, तो उनकी जरूरत पूरी की जा सकेगी संसद भवन में देश के हर कोने की तस्वीर देखने को मिलेंगे| क्योंकि इसकी कोशिश की जा रही है, नई बिल्डिंग में सेंट्रल हॉल नहीं होगा लोकसभा चेंबर में ही दोनों सदनों के सांसद बैठ सकेंगे पुराने संसद भवन को एक म्यूजियम के तौर पर रखा जाएगा उसे काम भी चलता रहेगा| लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने जानकारी दी थी, कि पुराने संसद भवन ने देश को बदलते देखा है| ऐसे में वह भविष्य में प्रेरणा देगा लोकसभा और राज्यसभा कक्षाओं के अलावा ने भवन में एक भव्य संविधान कब होगा जिसमें भारत की लोकतांत्रिक विरासत दर्शाने के लिए अन्य वस्तुओं के साथ-साथ संविधान की मूल प्रति डिजिटल डिस्पले आदि होंगे मौजूदा|संसद भवन को अंग्रेजों ने बनाया था, 12 फरवरी 1921 को इसकी नींव रखी गई थी| लेकिन अभी हम भारतीयों के द्वारा बनाया जाएगा नए संसद भवन को केंद्र सरकार की योजना सेंट्रल विस्टा के तहत बनाया जा रहा है| जिसमें संसद भवन के अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय राष्ट्रपति भवन और आसपास के इलाकों का नवीनीकरण किया जाएगा| पुराने संसद भवन में कोई खराबी नहीं है, लेकिन उसका लीज खत्म हो चुका है| जो ब्रिटिश अपने देश के ही नहीं तो एशिया के सबसे बड़े अमीर आदमी लखिशा बंजारा के जगह पर यह मौजूदा संसद भवन बनवाया था| यह भी कहा जाता है, कि रायसिना हिल की प्रॉपर्टी लखीशा बंजारा की है, तो अब यह प्रॉपर्टी उनके वारिस को दी जानी है|

 इसका निर्माण टाटाप्रोजेक्ट्स द्वारा किया जाएगा | नई बिल्डिंग में ऑडियो विजुअल सिस्टम डाटा नेटवर्क फैसिलिटी का ध्यान रखा जा रहा है| पीएम मोदी रखे हैं| नए संसद भवन की नींव भूमि पूजन विजुअल तरीके से किया गया|यह भवन आकर्षक और आधुनिक सुविधाओं वाली है| इसमें सारी सुविधाएं मौजूद रहेंगे सांसदों का सभी का ध्यान रखा गया है | राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के बीच में बनाए जाने वाले संसद के इस नए भवन को बनाने के लिए पहले करोड़ों रुपए की लागत से बनी इमारतों को भी तोड़ना होगा| नया चार मंजिला संसद भवन को बनाने में संसद भवन का निर्माण भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ तक पूरा कर लिया जाएगा| प्रत्येक सांसद सदस्य को पुनः निर्मित श्रम शक्ति भवन में कार्यकाल के लिए 40 वर्ग मीटर स्थान उपलब्ध कराया जाएगा| लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है| कि नए संसद भवन का डिजाइन अहमदाबाद के मैसर्स एचसीपी डिजाइन और मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया है| भवन को सभी आधुनिक दृश्य रक्त संचार सुविधाओं और डेटा नेटवर्क प्रणाली से सुसज्जित किया जाएगा| यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है| निर्माण के दौरान सांसद के सत्रों का आयोजन में कम से कम व्यवधान हो और पर्यावरण संबंधी सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाए| नए संसद भवन के शिलान्यास के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि नए संसद भवन न्यूनतम और पुरातन का समापन है| वर्तमान संसद भवन ने आजादी के आंदोलन और स्वतंत्रता भारत के बढ़ने में बड़ी भूमिका निभाई है| आजाद भारत की पहली सरकार का गठन भी यही हुआ और पहली संत संत भी यहीं बैठी इसी भवन में हमारे संविधान की रचना और लोकतांत्रिक की पुनर्स्थापना हुई| मौजूदा बाय भारत स्वतंत्रता भारत के हर उतार-चढ़ाव चुनौतियों कक्षाओं सफलता का प्रतीक रही है| नहीं संसद भवन में कई ऐसी चीज है| जिनसे सांसदों की एफिशिएंसी बढ़ेगी वर्क कल्चर में आधुनिक तौर-तरीके आएंगे पुराने संसद भवन में स्वतंत्रता के बाद भारत को दिशा दी थी| नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि 2026 तक सांसदों की बड़ी संख्या में बढ़ने का अनुमान है| इसलिए नए संसद भवन का निर्माण जरूरी है| पुराने में संशोधन के बारे में भी सोचा गया है| लेकिन वह पर्याप्त नहीं है| 2022 तक के नए संसद का निर्माण पूरा करेंगे ताकि शीतकालीन सत्र नए भवन में आयोजित हो सके नहीं संसद भवन में जाने की थी रास्ते होंगी| एक एंट्रेंस पीएम और 300 के लिए होगा| एक लोकसभा के स्पीकर एक राज्य सभा के चेयर पर्सन सांसदों के प्रवेश के लिए एक इंट्रेंस और दो पब्लिक इंटेंस होंगे इसमें कुल 120 ऑफिस होंगे| जिसमें कमेटी रूम मिनिस्ट्री ऑफ़ पार्लिमेंट अफेयर्स के ऑफिस लोक सभा सेक्रेटेरिएट राज्य सभा सेक्रेटेरिएट पीएम ऑफिस आदि होंगे| ऑफिसों में पेपर लेस काम किया जाएगा| इसमें संसद के लिए लाइब्रेरी लांच डायनिंग एरिया भी होंगे इसमें पार्किंग भी आधुनिक तकनीक वाली होगी भवन में फर्नीचर पर स्मार्ट डिस्प्ले होगा वेटिंग में आसानी के लिए बायोमैट्रिक सिस्टम होंगे नए संसद भवन में ट्रांसलेशन सिस्टम खास आकर्षण होंगे| जिससे हर भाषा की स्पीच को हर सांसद समझ सकेंगे | संसद भवन से सटी त्रिकोणीय कार की नई इमारत सुरक्षा, सुविधाओं से लैस होगी| नई लोकसभा मौजूदा कार से 3 गुना बड़ा होगी राज्य सभा के कार्य में भी वृद्धि की गई है| नए भवन की सजा में भारतीय संस्कृति छेत्री कला शिल्प और वास्तुकला की विविधता का समृद्ध मिलाजुला स्वरूप होगा| डिजाइन प्लान में केंद्रीय संविधानिक गैलरी को स्थान दिया गया है| आप लोग इसे देख सकेंगे वह भारत के संविधान की मूल प्रति को भी रखा जाएगा नए संसद भवन के निर्माण में यह सारा कुछ खास होने वाला है| नए संसद भवन से भारत को फायदा ही होने वाला है| नुकसान नहीं होने वाला है| पहले से मौजूद संसद भवन के मुकाबले यह बड़ा होने वाला है| जिससे भारत को फायदा ही होगा पुराने संसद भवन की क्षमता कम है| नए भवन की क्षमता को बढ़ा दिया गया है| इसमें आधुनिकीकरण का खास ध्यान रखा गया है| शिल्प कला का खास ध्यान रखा गया है |जो कि पुराने संसद भवन में नहीं थी, सुरक्षा मानकों का भी इसमें खास ध्यान रखा गया है| पुराने संसद भवन से नए संसद भवन की बनने से भारत को फायदा ही होगा| नुकसान होने का कोई सवाल है, नहीं क्योंकि इससे काम करने की क्षमता और बढ़ जाएगी| भारत की नए संसद भवन का भूमि पूजन वर्चुअल तरीके से किया गया है| संसद भवन की भूमि पूजन के बाद इसमें कुछ परेशानियां थी| जिसे जल्द ही सुलझा लिया जाएगा और इसका निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा |

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