Raftar bharengi pariwahan sewaye | रफ्तार भरेंगी परिवहन सेवाए


 कोरोना संक्रमण की महामारी के दौरान जब लॉकडाउन लागू हुआ और यातायात सेवाएं बेहद सीमित कर दी गई,जब लगा जैसे पूरा देश रुक गया हो| सड़के सूनी पड़ गई| रेल की पटरियों पर सिर्फ माल गाड़ियां दिखाई देने लगी| खचाखच भरे रहने वाले स्टेशन वीरान हो गए, हवाई अड्डों पर सन्नाटा पसर गया और आसमान का सीना चीरने वाले विमान हैंगर में समा गए | यह अभूतपूर्व था, लेकिन इसने हमें यातायात की जरूरत और महत्ता के बारे में गहराई से सोचने पर मजबूर भी कर दिया| हालांकि इस दौरान भी विकास पर पहिया नहीं रुका| रफ्तार भले ही कम हुई, लेकिन परियोजनाओं पर काम चलता रहा| नए साल में यातायात व परिवहन परियोजनाओं के विस्तार का मौका होगा और उम्मीद है कि अपना देश सभी चुनौतियों को मात देते हुए विकास की नई गाथा लिखेगा | विश्व स्तरीय होगी देश की धड़कन,  सुगम होगी देश की राह, हवाई मार्ग से जुड़ेंगे दुर्गम इलाके| चार रेलवे स्टेशनों का सार्वजनिक निजी भागीदारी के जरिए किया जाएगा पुनर्विकास| 27000 किलोमीटर ट्रक का किया जाएगा विद्युतीकरण| 150 से अधिक नई यात्री ट्रेनों का पीपीपी मॉडल पर होगा संचालन| 40 परसेंट से ज्यादा यातायात राष्ट्रीय राजमार्ग करता है नियंत्रण|


 वेस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर

 वेस्टर्न डेमोक्रेटिक फ्रंट कॉरिडोर का रेवाड़ी से मदान खंड मील का पत्थर साहित होगा| इस पर नई मालगड़ी का संचालन किया जाएगा जो 270 उच्च क्षमता वाले ट्रकों जितना वजन लेकर 100 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ सकेगी | वर्तमान में माल गाड़ियां करीब 60 किमी प्रति घंटे की गति से 60 -71 टन माल का परिवहन करती है | नई रेलगाड़ी के इन वैगनो में से प्रत्येक का स्वयं का वजन 19.85 टन भार वाहन क्षमता 80.15 टन है | इन वेगनो  में भारतीय रेलवे में वर्तमान में उपयोग किए जा रहे वैगनो की तुलना में 14 फीसद अधिक भार वह क्षमता है| डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी डीएफसीसीआईएल 1.5 किमी लंबे और डबल स्टेक कंटेनर ट्रेनों का संचालन की दिशा में काम कर रहा है | इसके जरिए बंदरगाहों व औद्योगिक क्षेत्रों के बीच तेज रफ्तार वाली यातायात सुविधा विकसित की जा रही है, ताकि माल का परिवहन तेजी से हो सके| इसके जरिए जहां यातायात व परिवहन में रेलवे की भागीदारी बढ़ेगी वहीं पर्यावरण में भी सुधार होगा| इसके निर्माण में रेलवे स्वचालित ट्रेक निर्माण मशीन यानी एनटीसी का इस्तेमाल कर रहा है जो प्रतिदिन 1.5 किमी की गति से ट्रक बिछा सकती है|


 लुधियाना से कोलकाता तक माल ढुलाई की गति होगी तेज, जीडीपी में 1 अंक तक की आएगी उठा

लुधियाना से कोलकाता के बीच डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को जून 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है| करीब 1,856 किलोमीटर लंबी इस लाइन पर अनुमान है कि 2,499 करोड़ खर्च होंगे| करीब 116 डिब्बों वाली लंबी बैलगाड़ी दौड़ आन के लिए स्पेशल लाइन बिछाई जा रही है| इस पर सिर्फ माल गया रिया ही दौड़ेंगे और इनकी रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटा होगी| मौजूदा समय में 40 से 50 किलोमीटर की रफ्तार से ही माल गाड़ियां दौड़ रही है| इस्माइल गाड़ी को खींचने के लिए विशेष इंधन तैयार किए जा रहे हैं| इसके बाद एक राज्य से दूसरे राज्य तक समान पहुंचाना आसान हो जाएगा| माल गाड़ियों के लिए स्पेशल लाइन बीत जाने के बाद सवारी गाड़ियों में इजाफा किया जाएगा और ट्रेन की रफ्तार भी बढ़ा दी जाएगी| उम्मीद की जा रही है कि इससे जीडीपी 1 अंक तक आगे बढ़ सकती है| यानी पर्यावरण ट्रैफिक जाम और अर्थव्यवस्था की कई समस्याओं का समाधान माल गाड़ियों के लिए बन रही इन रेल लाइनों से होगी| बता दे भाऊ पुर से खुर्जा के बीच 351 किलोमीटर डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर डीएफसी ट्रैक पर माल गाड़ियों ने रफ्तार भरनी शुरू कर दी है|


 वंदे भारत के टेंडर होने की उम्मीद

 दिल्ली से वाराणसी के बीच देश की पहली और स्वदेशी सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस पटरी पर उतर चुकी है| इस तरह की 40 ट्रेनों का निर्माण किया जाना है| इसको लेकर पहले कई बार टेंडर डाले जा चुके हैं| उम्मीद है कि 2021-22 में किसी न किसी कंपनी को टेंडर जारी हो सकता है| पहले वंदे भारत एक्सप्रेस इंटीग्रल कोच फैक्ट्री आईसीएफ चेन्नई में बनी थी| 15 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई थी| संभावना है कि बाकी रेक इस साल पटरी पर उतर सकती है|

 एयरपोर्ट की तर्ज पर रेलवे स्टेशन

 विश्व स्तरीय सुविधाओं वाला देश का पहला हबीबगंज रेलवे स्टेशन मार्च में यात्रियों को समर्पित किया जाएगा| रेलवे ने मध्य प्रदेश के हबीबगंज और गुजरात के गांधीनगर स्टेशन के पुनर्विकास का निर्णय लिया था| हबीबगंज में पीपीपी मॉडल पर काम हो रहा है तो गांधीनगर में इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कारपोरेशन व गुजरात सरकार की मदद से|

 रोज एक इंजन बनाने का लक्ष्य

मेकइन इंडिया अभियान के तहत बीएसडब्ल्यू ने विगत वित्त वर्ष में ना केवल विद्युत रेल इंजनों के उत्पादन में वृद्धि की, बल्कि बड़े का निर्माण विद्युत रेल इंजनों की लागत में उल्लेखनीय कमी भी आई है| गत वित्तीय वर्ष में डब्ल्यू ए पी 7 एवं डब्लू ए जी 9 विद्युत रेल इंजनों की लागत में क्रमश 40 लाख एवं 60 लाख की कमी आई है| नए साल में बरेका हर रोज एक इंजन बनाने का लक्ष्य तय किया है| लागत कम होगी तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में बरेका के इंजनों की मांग बढ़ेगी| बरेका के डीजल इंजनों की श्रीलंका,भूटान, बांग्लादेश समेत अफ्रीकी देशों में मांग रही है| इस साख को कायम रखते हुए विद्युत इंजन बेचने का लक्ष्य है|

  •  इस साल लगने वाले हरिद्वार कुंभ मेले की तैयारियां चल रही हैं| 220 करोड रुपए से ऋषिकेश का नया रेलवे स्टेशन तैयार हो चुका है| मेले के लिए 30-35 स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी|
  •  तीसरे लाइनों को ब्रॉडगेज में बदला जाएगा| इसमें 17 परियोजनाएं 2021-22 में पूरी होंगी| इसमें बिहार में तीन, राजस्थान में तीन, मध्यप्रदेश में दो, उत्तर प्रदेश में चार, बिहार में तीन, महाराष्ट्र में तीन, छत्तीसगढ़ में एक, तमिलनाडु में तीन, गुजरात में 10 रेल लाइन में शामिल है|
  •  रेलवे ने 2020- 22 में 1000 मेगावाट सौर ऊर्जा व 2000 मेगावाट पवन ऊर्जा हासिल करने का लक्ष्य तय किया है| इसमें से 500 मेगावाट की क्षमता वाले सौर ऊर्जा संयंत्र रेलवे स्टेशनों की इमारतों की छतों पर लगाई जाएंगे|
  •  मंत्रालय ने 109 मार्गों पर 150 प्राइवेट ट्रेनों के संचालन का फैसला किया है| इन ट्रेनों में यात्रियों को कंफर्म टिकट और आधुनिक सुविधाएं मिले, इस पर ध्यान दिया जा रहा है| हालांकि योजना को वर्ष 2024 तक धरातल पर उतारा जाएगा, लेकिन नए साल में इस दिशा में तेजी से प्रगति की उम्मीद है| इन ट्रेनों के जरिए प्रमुख स्टेशनों को जोड़ा जाएगा| गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा होगा|


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