KISHAN ANDOLAN Q KAR RAHE HAI | किसान आंदोलन क्यू कर रहे है

 किसान आंदोलन क्यू कर रहे है

भारत मे इस समय किसान आंदोलन कर रहे है ये आंदोलन कोई छोटा मोटा नहीं हो रहा है बल्कि बहोत बड़े पैमाने मे हो रहा है इस आंदोलन मे किसान नये कृषि कानून का विरोध कर रहे है ये भारत के अन्य दाता है और आज अन्य दाता नये कृषि कानून का विरोध कर रहे है जब किसान विरोध कर रहे है तो कोई तो बात होगी जो ये किसान आंदोलन मे कूद पड़े है इस विरोध मे किसानो के अलावा राजनेता मे कूद पड़े है और वो लोग भी कूद पड़े है जो एक पौधा भी नहीं लगाए है नये कृषि कानून मे ऐसा किया है जो विरोध हो रहा है पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली मे आ के अपना विरोध जाता रहे है किसानो को रहने खाने की वेवस्था की जा रहे है पूरा देश मे चर्चा हो रहा है नये कृषि कानून का और विरोध भी हो रहा है एक दिन पूरा भारत बंद रहा कृषि कानून के विरोध मे, नये कानून मे कुछ तो ऐसा है जो पूरा भारत मे विरोध हो रहा है किसानो के नेता सरकार से वार्ता कर रहे है और हर वार्ता विफल हो रहा है कोई निष्कर्ष नहीं निकल रहा है और लगातार विरोध हो रहा है पंजाब और हरियाणा से 50000 से अधिक किसान दिल्ली पहुंच चुके है इनके लिये टोल पालाजा  फ्री कर दीया गया है किसानो के नाम पे सारे बिपक्ष के नेता आंदोलन मे कूद पड़े है कुछ किसान नये कानून के पछ मे है तो कुछ विरोध मे है किसानो की आंदोलन की शुरुआत पंजाब से हुआ और हरियाणा भी शामिल हुआ और देखते देखते पूरा देश मे विरोध शुरू हुआ किसानो की इस आंदोलन से रोज नुकसान भी हो रहा है पर कोई भी मानने को तैयार नहीं है उनका कहना है नये कृषि कानून को वपास लो अब किसान भूख हड़ताल करने जा रहे है इसमें इनके नेता भी है जब पुरे भारत मे विरोध हो रहा है तो तो कुछ तो ऐसा पेच है जो किसानो के हित मे नहीं है आखिर ऐसा किया है


किसान आंदोलन से दिल्ली मे  सियासत तेज हो गयी है नये कृषि कानून को वापस लेने और फसल के न्यूनयतम समर्थन मूल्य एमएसपी की गारंटी की मांग को लेकर किसान डाटे हुऐ है दिल्ली मे और सरकार का विरोध कर रही है किसान पीछे हटने वाले नहीं है इस बार सीधे टकराने के मूड मे है ऐसा ही 32 साल पहले किसानो ने दिल्ली के बोट क्लब पर हल्ला बोल कर दिल्ली को ठप कर दीया था एक बार फिर किसानो ने ठन लिया है जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा किसान पहले की तरह विरोध करना चाहते है


किया है नये कृषि कानून बिल मे

कृषक उपज व्यापार और वणिज्य ( संवर्धन और सरलिकर्ण )
विधायक ये एक ऐसा कानून होगा जिसके तहत किसानो और वायपारियों को एमएसपी की मंडी से बाहर फसल बेचने की आजादी होगी ( सशक्तकारण वा संरक्षण ) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 है यह कानून कृषि कररो पर राष्ट्रीय फेर्मवर्क के लिये है ये कृषि उत्पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि  बिजनेस फार्मा, प्रोसेस, थोक विक्रीताओं, बड़े विक्रेताओं और निर्यातक के साथ किसनो को जूसने के लिये सशक्त करता है सरकार का कहना है की वाह एपी एस सी मंडिया बंद नहीं कर रही है बल्कि किसाने के लिये ऐसी व्यवस्थ कर रही है जिसमे वाह निजी खरीद को अच्छे दामों मे अपनी फसल बेच सके


निजी कंपनीयो के लिये इमएसपी
सरकार ने जो भी कानून मे कहा है वैसे तो पहले भी होता रहा है कंट्रोरक्ट फार्मिग और अपनी फसलों को बाहर जैसे चीजे पहले भी होती रही है और कोई विवाद होने पर सिर्फ एस डी एम के पास जा सकता है जबकि पहले वाह कोर्ट जा सकता था एस तरह का पाबंदिया क्यू लगयी गयी इससे तो लगता है सरकार किश्कनो को बांध रही है और कारपोरेट कंपकनीयों को खुला छोड़ रही है उन्हें अब किसी फसल की खरीद के लिये कोई खास लाइसेंस की जरुरत नहीं है एस कानून के बाद कोई भी कही भी और किसी को भी अपनी फसल बेच सकता है जो अच्छा है लेकिन एम एस पी की व्यवस्था कहा पर है मंडी के बाहर इमएसपी की व्यवस्था ना होना ही सबसे बड़ विवाद का बिंदु है तीनो कानोनो से कोई बड़ी समस्या नहीं है लेकिन इसमें मंडी के बराबर कोई दूसरी व्यवस्थ बनाने का प्रावधान नहीं किया गया है अगर कोई प्रावेट प्लयेर इस छेत्र मे उतर रहा है तो उसके लिये भी इमएसपी की व्यवस्थ होनी चाहिये

मडी स्यास्टम ख़त्म कर देगी कम्पनिया
एक साल निजी कंपकनीय इमएसपी मे ख़रीदे फसल उसके बाद जब मंडिया बंद तो कारपोरेट कम्पनिया मनमाने
दामों मे फसल खरीदेंगे मंडी सिस्टम समाप्त होने के बाद किसानो की हालत ठीक नहीं है और उनसे मनमाने दामों पर फसल खरीदी जाती है सरकार किसानो का हितैषी है तो वाह किसानो से सीधे फसल ले कर निजी कंपनियों को बेचे खाद्य सुरछा कानून के तहत देश के 80 करोड़ लोग को राशन दीया जाता है और उस राशन को तो किसानो से ही ख़रीदा जाता है सरकार कल भी इस राशन को खरीदेंगी तो मंडिया कैसे बंद हो जाएगी 

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